महात्मा गाँधी एक भारतीय स्वतंत्रता सेनानी थे जिन्होंने भारत की स्वतंत्रता के लिये बहुत संघर्ष किया और फिर आखिर में भारत को आज़ादी दिला दी. महात्मा गाँधी एक ऐसे महापुरुष थे जो भारतीयों के दिल में राज करते थे.
भारत का हर नागरिक चाहे वो बच्चा हो या बूढा हर कोई उन्हें राष्ट्रपिता और बापू के नाम से जानता है हमने महात्मा गाँधी पर निबंध लिखकर आपको डिटेल में बताया है.
महात्मा गांधी पर निबंध – Essay on Mahatma Gandhi in Hindi
महात्मा गाँधी के भारत की आज़ादी को लेकर किये गये अथक प्रयासों की वजह से हम उन्हें राष्ट्रपिता और बापू के नाम से जानते है, वो एक ऐसे महापुरुष थे जो की सत्य और अहिंसा औए एकता पर यकीन करते थे.
उन्होंने ग्रामीणों और किसानो के विकास के लिये आवाज़ उठायी और स्वदेशी वस्तुओ के प्रयोग पर जोर दिया और अंग्रेजो के खिलाफ आवाज़ उठायी और वो भारतीयों के बीच हो रहे हिन्दू और मुस्लिम और जाती पति के भेदभाव को खत्म करने के लिये अटूट प्रयास किये.
भारत के इतिहास में वो एक ऐसे महापुरुष थे जो की भारतीयों द्वारा देखे गये आज़ादी के सपने को साकार करने में अहम् भूमिका निभाई और उस कार्य को हम आज भी दिल से याद करते है.
आज भी लोग अपने बच्चो को महात्मा गाँधी के जैसा बनने की सीख देते है, कहा जाता है की वो बचपन से सत्यवादी और अहिंसावादी नही थे बल्कि उन्होंने अपने आप उस तरह से बदला है की वो सत्यवादी और अहिंसावादी बने.
कहते है की राजा हरिश्चंद्र जी के जीवन बहुत प्रभाव महात्मा गाँधी के जीवन में पड़ा था, स्कूल की शिक्षा पूरी करने के बाद उन्होंने अपनी वकालत की पढाई इंग्लैंड में पूरी की थी उन्होंने अपने जीवन में बहुत सी मुसीबतों का सामना किया पर कभी भी हार नहीं मानी हमेशा आगे बढ़ते रहे.
उन्होंने काफी आन्दोलन और अभियानों की शुरुआत की जैसे 1920 में असहयोग आन्दोलन और 1930 में नगरी अवज्ञा अभियान और अंत में 1942 में भारत छोडो आन्दोलन चलाया.
महात्मा गाँधी का क्रांतिकारी जीवन
महात्मा गांधी के क्रांतिकारी जीवन की शुरुआत 1893 में हुई, जब उन्हें एक मुकदमे के सिलसिले में दक्षिण अफ्रीका कोर्ट जाना पड़ा था और वहाँ उन्होंने अंग्रेजों को भारतीयों एवं वहाँ के मूल निवासियों के साथ बहुत बुरा व्यवहार करते देखा.
वहाँ अंग्रेजों ने कई बार महात्मा गांधी को अपमानित किया, उन्होंने अंग्रेजो के अपमान के विरुद्ध मोर्चा संभालते हुए अपने विरोध के लिए सत्याग्रह एवं अहिंसा का रास्ता चुना और जो लगभग सभी को पसंद आया.
अपने उद्देश्यों की पूर्ति हेतु उन्होंने अफ्रीका प्रवास के दौरान लोगों को शिक्षित करने के लिए अध्यापक के रूप में, गरीबों की सेवा के लिए चिकित्सक के रूप में, कानूनी अधिकार के लिए अधिवक्ता के रूप में, एवं जनता को जागरुक करने के लिए पत्रकार के रूप में भी कार्य किया.
अपने जीवन काल में उन्होंने कई पुस्तकों की भी रचना की “माई एक्सपेरिमेंट्स विद ट्रुथ” उनकी विश्व प्रसिद्ध आत्मकथा है|
दक्षिण अफ्रीका में महात्मा गांधी के द्वारा किए गए कार्यों की ख्याति भारत में भी फैल चुकी थी, इसलिए जब वह स्वदेश लौट कर आए, तो उनका गोपाल कृष्ण गोखले एवं लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक जैसे नेताओं ने भव्य स्वागत किया.
भारत में महात्मा गांधी ने जो सबसे पहला महत्वपूर्ण कार्य किया वह था, बिहार के चंपारण जिले के नीलहे किसानों को अंग्रेजो से मुक्ति दिलाना, 1917 में महात्मा गांधी के सत्याग्रह के फलस्वरुप ही चंपारण के किसानों का शोषण समाप्त हुआ.
महात्मा गाँधी पर निबंध 300 शब्दों में
भारत में अपने उद्देश्यों की पूर्ति के लिए महात्मा गांधी ने गुजरात के अहमदाबाद में एक आश्रम की स्थापना कि, इसके बाद अंग्रेज सरकार के खिलाफ उनका संघर्ष प्रारंभ हुआ.
भारतीय राजनीति की बागडोर एक तरह से उनके हाथों में आ गई, गाँधी जी जानते थे कि ब्रिटिश सरकार से भारत को मुक्ति, लाठी और बंदूक के बल पर नहीं मिल सकती इसलिए उन्होंने सत्य और अहिंसा का सहारा लिया.
अपने पूरे संघर्ष के दौरान उन्हें कई बार जेल भी जाना पड़ा, पर उन्होंने हर नही मानी अंग्रेजों का विरोध करने के लिए 1920 में उन्होंने असहयोग आंदोलन प्रारंभ किया.
अंग्रेजों ने जब नमक पर कर लगाया तब महात्मा गांधी ने 13 मार्च, 1930 को अपनी दांडी यात्रा आरंभ की और 24 दिन की दांडी यात्रा के पश्चात अपने हाथो से दांडी नमक बनाया.
कुछ इसी तरह उन्होंने सविनय अवज्ञा आंदोलन चलाया, इस बीच में महात्मा गांधी इरविन समझौते इंग्लैंड भी गए थे, किंतु यह समझौता अंग्रेजो की नीति की वजह से टूट गया.
फलस्वरूप यह आंदोलन 1934 तक चलता रहा, वर्ष 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान लोगों को “करो या मरो” का नारा देकर इस आंदोलन में गाँधी जी ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
महात्मा गांधी जी के अथक प्रयत्नों से ही भारत 15 अगस्त, 1947 में स्वतंत्र हुआ और 1920 से लेकर 1947 तक भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में महात्मा गांधी की भूमिका के कारण इस युग को “गांधी युग” की नाम दी गई है.
बापू ने एक राजनेता के अतिरिक्त एक समाज सुधारक के रूप में जातिवाद, छुआछूत, नशाखोरी, बहुविवाह, पर्दाप्रथा तथा सांप्रदायिक भेदभाव को समाप्त करने के लिए भी अनेक कार्य किए.
बड़े ही दुख की बात यह है कि महात्मा गांधी को समझने में हिंदू और मुसलमान दोनों से ही गलती हुई, कट्टरवादी मुसलमानों की प्रतिक्रिया में भारत में भी एक कट्टरवादी हिंदू संगठन पैदा हो गया.
पाकिस्तान बनने के बाद भी महात्मा गांधी जी पाकिस्तान की आर्थिक मदद करना चाहते थे, कट्टरवादी हिंदू संगठन ने महात्मा गांधीजी की इस निति का विरोध किया.
30 जनवरी, 1948 को जब वह प्रार्थना सभा में जा रहे थे, तब नाथूराम गोडसे नामक व्यक्ति ने गोली मारकर उनकी हत्या कर दी, इस तरह सत्य और अहिंसा के इस महान पुजारी का दुखद अंत हो गया था.
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